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Mashhoor Shayaron kee Pratinidhi Shayari Mohammad Ibrahim Zauq (in Hindi)
Zauq, Mohammad Ibrahim
Synopsis "Mashhoor Shayaron kee Pratinidhi Shayari Mohammad Ibrahim Zauq (in Hindi)"
उसे हमने बहुत ढूंढा, न पाया, अगर पाया तो खोज अपना न पाया जिस इन्सा को सगे दुनिया व पाया फ़रिश्ता उसका हग पाया, न पाया जौक दिल्ली के आखिरी बादशाह जफर के समकालीन थे। इसलिए उन्हें जफर का उस्ताद होने का गौरव भी प्राप्त था । उनको अपने देश से मुहब्बत थी। दिल्ली से अपनी मुहब्बत का इज़हार उन्होंने अपने शेरो में भी किया; लये शायरों पर उनका काफी प्रभाव था। कई तो उनके शागिर्द बने जिनमें 'जोक' नाम से ही वे मशहूर हुए। ज़ौक बचपन से ही प्रतिभाशाली और अध्ययनशील थे कि पुराने उस्तादों के साढ़े तीन सौ दीवानों को पढ़कर उनका मुज्मल तौर पर संस्करण किया। शालिब को बादशाह के साथ जौक का रहना बहुत अकारता था और वो ज़ौक़ पर व्यंक्य भी करते थे लेकिन ज़ौक़ की शायरी और जौक को बहुत पसंद भी करते थे। -इसी किताब से