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Bujhte Diye Ki Law (बुझते दीये की लौ ) (in Hindi)
Dhawan, Pankaj
Synopsis "Bujhte Diye Ki Law (बुझते दीये की लौ ) (in Hindi)"
पंकज धवन (जन्म 14 मार्च 1957) लगभग 30 वर्षों से गृह- सज्जा सामान के निर्यातक एवं 125 से अधिक विदेश यात्राएं।प्रारंभ से ही साहित्य में उनकी अभिरुचि रही है। एम.ए, पी.एच.डी. व ए.एम तक शिक्षा। 100 से अधिक रचनाएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित कहानियां जिनमें मुख्यतः सरिता, गृहलक्ष्मी, गृहशोभा, वनिता, जागरण सखी, मनोहर कहानियां, मेरी संगिनी, इन्द्रप्रस्थ भारती (हिन्दी अकादमी) में निरंतर प्रकाशित।प्रस्तुत कहानियों का संग्रह किसी विशेष विषय पर केंद्रित न होकर अलग-अलग उलझे हुए विचारों एवं समाज की विसंगतियों का चित्रण करती हैं। मनोरंजक एवं सरल भाषा में लिखने का विचार भी यही है कि समाज के सभी वर्गों के लिए यह प्रेरक एवं मार्गदर्शक हों। समाज के विभिन्न पहलुओं एवं परिवेशों में जो त्रासदी देखने को मिली उसे शब्दों में ढाल कर प्रस्तुत किया। मेरी पहली रचना, जहां तक मुझे जान पड़ता है, पंद्रह वर्ष की आयु में एक समाचार पत्र में प्रकाशित हुई। पहला उपन्यास 'सफेद गुलाब' 1978 एवं पहली कहानी 'वामा' में 1990 में प्रकाशित हुई। इस प्रकार मेरे लिखने का क्रम बढ़ता गया। जब भी अपने काम से समय मिलता, मैं लिखता रहता। मैंने जो कुछ भी लिखा अपने सुख के लिए लिखा। न मैं किसी सामाजि